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नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी 12th November 2025 रिटन अपडेट: एक्टर के संघर्ष से सफलता की कहानी

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी 12th November 2025 न्यूज अपडेट on tellyboosters.com

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी भारतीय सिनेमा के उन गिने-चुने अभिनेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा और कठिन संघर्ष के दम पर अपना मुकाम हासिल किया है। आज भले ही उनका नाम इंडस्ट्री के सबसे प्रतिष्ठित सितारों में शुमार होता है, लेकिन यहां तक का सफ़र उनके लिए आसान नहीं रहा। उनकी कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव बुढ़ाना से शुरू होती है, जहाँ से एक साधारण परिवार का लड़का मायानगरी मुंबई में अपने सपनों को पूरा करने आया।

नवाज़ुद्दीन ने अपने शुरुआती संघर्ष के दिनों को कई बार साझा किया है, और इन कहानियों में उनके पिता का एक खास ज़िक्र होता है। उन्होंने बताया है कि जब वह मुंबई में एक्टिंग का सपना देख रहे थे और उन्हें छोटे-मोटे या कोई रोल नहीं मिल रहे थे, तब उनके पिता चाहते थे कि वह यह सब छोड़कर गाँव लौट आएं और कोई ‘ढंग का’ काम करें।

एक इंटरव्यू में उन्होंने भावुक होकर बताया था कि उनके पिता अक्सर उन्हें घर आने से मना कर देते थे। उनका कहना था कि अगर मुंबई में कुछ नहीं कर पा रहे हो तो फिर यहाँ आकर क्या करोगे? पिता का यह रवैया एक तरह से उन पर दबाव बनाने और उन्हें अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने का तरीका था। पिता का यह कड़ा रुख नवाज़ुद्दीन के लिए एक अदृश्य प्रेरणा बन गया। वह जानते थे कि उनके पास वापस जाने का कोई रास्ता नहीं है, और उन्हें मुंबई में ही खुद को साबित करना होगा। यह उनके लिए एक तरह से ‘करो या मरो’ वाली स्थिति थी।

एक्टर ने कहा पिताजी मुझे घर नहीं आने देते थे। उनका कहना था, अगर वहां कुछ नहीं कर पा रहे हो, तो यहाँ क्यों आ रहे हो? यहीं रहकर कुछ करके दिखाओ। नवाज़ुद्दीन के ये शब्द उनके संघर्ष की गहराई को दर्शाते हैं।

अपने पिता के इसी दबाव और खुद के अटूट विश्वास के चलते, नवाज़ुद्दीन ने छोटे-छोटे किरदारों से शुरुआत की। सालों तक उन्होंने प्रतीक्षा की, रिजेक्शन झेले, और कई रातें भूखे पेट गुज़ारीं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से उन्हें जो पहचान मिली, वह एक गेमचेंजर साबित हुई। इसके बाद, उन्होंने ‘कहानी’, ‘बदलापुर’, ‘मांझी’, ‘मंटो’ और ‘सेक्रेड गेम्स’ जैसी परियोजनाओं में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया।

आज, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अपने पिता की उस कठोर प्रेरणा का सम्मान करते हैं। वह मानते हैं कि उनके पिता का वह ‘घर न आने देना’ ही शायद वह सबसे बड़ा मोटिवेशन था जिसने उन्हें आज इस मुकाम तक पहुंचाया है।

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