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शनिवार, दिसम्बर 6, 2025

नेपोटिज़्म के आरोपों पर शाहिद कपूर का बेबाक जवाब

बॉलीवुड अभिनेता शाहिद कपूर को अक्सर उनके फिल्मी बैकग्राउंड मशहूर अभिनेता पंकज कपूर के बेटे होने की वजह से नेपोटिज़्म की बहस में घसीटा जाता रहा है। हालांकि, शाहिद ने हमेशा ही इन दावों का पुरज़ोर खंडन किया है और खुद को एक आउटसाइडर बताया है, जिसने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई है। उन्होंने नेपोटिज़्म पर अपनी राय खुलकर सामने रखी है और बताया है कि उनका शुरुआती सफर कितना संघर्षपूर्ण रहा।

शाहिद कपूर ने हाल के इंटरव्यूज़ में उन लोगों पर तंज़ कसा है जो महंगे साधनों के साथ अपने करियर की शुरुआत करते हैं, और इसे ‘स्ट्रगल’ का नाम देते हैं। शाहिद के मुताबिक, असली संघर्ष वह होता है जब आपको पैसों की तंगी झेलनी पड़ती है, जैसे कि ‘ट्रेनों में यात्रा करना’ या ‘फोटोशूट के लिए पैसे कहाँ से आएंगे’ जैसी चिंता करना।

उन्होंने साफ़ कहा कि ‘BMW जैसी महँगी कार में बैठकर स्ट्रगल करना, और फिर एक और BMW खरीद लेना’, यह संघर्ष नहीं होता। उनका यह बयान उन स्टार किड्स पर कटाक्ष था, जिन्हें बड़े बैनर की फिल्में आसानी से मिल जाती हैं।
खुद को ‘आउटसाइडर’ क्यों मानते हैं?

भले ही शाहिद कपूर एक फिल्मी परिवार से आते हैं, लेकिन वे खुद को इंडस्ट्री का ‘बाहरी व्यक्ति’ मानते हैं और इसके पीछे ठोस वजहें भी बताते हैं। शाहिद के माता-पिता, पंकज कपूर और नीलिमा अज़ीम, उनके बचपन में ही अलग हो गए थे। शाहिद ने बताया कि वह अपनी माँ के साथ रहे और उनका अपने पिता के साथ ज़्यादा समय नहीं बीता।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्होंने कभी भी अपने पिता के नाम का इस्तेमाल काम पाने के लिए नहीं किया। उनके पिता, पंकज कपूर, एक चरित्र अभिनेता रहे हैं और शाहिद के अनुसार, इंडस्ट्री में ‘चरित्र अभिनेताओं के पास कोई ख़ास पावर नहीं होती’, पावर केवल सुपरस्टार्स, बड़े निर्देशकों और निर्माताओं के पास होती है।

शाहिद ने याद किया कि उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘इश्क विश्क’ से पहले 100 से ज़्यादा ऑडिशन दिए थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मशहूर कोरियोग्राफर श्यामक डावर के डांस ग्रुप में एक बैकग्राउंड डांसर के तौर पर की थी। उन्होंने बताया कि वह डांस सीक्वेंस में ‘सबसे आखिरी में खड़े होते थे’, और उन्हें ‘पहली लाइन तक आने के लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ी’।

शाहिद कपूर ने हमेशा इस बात पर गर्व किया है कि उन्हें जो कुछ भी मिला है, वह उनकी मेहनत और टैलेंट के दम पर मिला है। उनका मानना है कि इंडस्ट्री को परिवार के नाम की जगह प्रतिभा को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनका सफ़र इस बात का प्रमाण है कि बिना किसी बड़े लॉन्च या गॉडफ़ादर के भी, एक कलाकार अपनी मेहनत से बॉलीवुड में एक ऊँचा मुकाम हासिल कर सकता है।

शाहिद के इन बयानों से साफ़ ज़ाहिर होता है कि वह नेपोटिज़्म के आरोपों को दरकिनार करते हुए, अपने आप को उन ‘आउटसाइडर्स’ की श्रेणी में रखते हैं, जिन्होंने इंडस्ट्री में आने के लिए कड़ा संघर्ष किया है।

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