एक माँ के लिए सबसे बड़ी चिंता तब होती है जब उसके बच्चे को कोई परेशानी हो, खासकर तब, जब वह उसे सुरक्षित न रख पाए। स्वर्गीय ऋषि कपूर की बेटी और प्रसिद्ध फैशन डिज़ाइनर रिद्धिमा कपूर साहनी ने हाल ही में अपनी बेटी समायरा के साथ हवाई यात्रा के दौरान कुछ ऐसा अनुभव किया, जिसने उन्हें और उनकी बेटी को अंदर तक हिला कर रख दिया। यह यात्रा उनके लिए ज़िंदगी का सबसे डरावना पल बन गई।
रिद्धिमा और समायरा एक व्यावसायिक उड़ान से सफ़र कर रही थीं। उड़ान की शुरुआत सामान्य थी, शायद रिद्धिमा अपनी बेटी के साथ किसी ज़रूरी काम या छुट्टी के लिए जा रही थीं। लेकिन जैसे ही विमान ऊँचाई पर पहुँचा, मौसम ने अचानक अपना रुख बदल लिया।
आसमान में पहुँचते ही विमान भीषण टर्बुलेंस की चपेट में आ गया। टर्बुलेंस का मतलब होता है हवा का तेज़ और अनियंत्रित बहाव, जिसके कारण विमान बुरी तरह से हिलने लगता है। यह घटना इतनी अप्रत्याशित थी कि यात्रियों को संभलने का मौका भी नहीं मिला।
विमान अचानक ज़ोर-ज़ोर से उछलने और नीचे गिरने लगा। केबिन के अंदर रखा सामान हिलने लगा और यात्रियों के बीच घबराहट फैल गई। यह हलचल कुछ मिनटों तक चली, लेकिन हवा में बिताया गया वह समय रिद्धिमा के लिए किसी सदमे से कम नहीं था।
रिद्धिमा कपूर साहनी के लिए यह अनुभव आम यात्री से कहीं ज़्यादा चिंताजनक था, क्योंकि उनके साथ उनकी छोटी बेटी समायरा भी थीं। एक माँ होने के नाते, उनका पहला ध्यान अपनी बेटी को सुरक्षित रखने पर था।
टर्बुलेंस के कारण जब विमान बेतहाशा हिल रहा था, तो छोटी समायरा निश्चित रूप से बहुत डर गई होंगी। बच्चों के लिए इस तरह का तेज़ और अप्रत्याशित कंपन बहुत डरावना होता है। समायरा की घबराहट देखकर रिद्धिमा की चिंता और भी बढ़ गई होगी। ऐसी स्थिति में, माँ को न केवल खुद को शांत रखना होता है, बल्कि अपने बच्चे को भी दिलासा देना होता है। यह एक भावनात्मक और मानसिक परीक्षा थी।
रिद्धिमा ने उस मुश्किल घड़ी में हिम्मत दिखाई होगी और अपनी बेटी को कसकर पकड़ा होगा, ताकि उसे ढांढस बँधाया जा सके। यह एक ऐसा पल था जहाँ उनकी माँ की शक्ति और धैर्य की परीक्षा हुई।
विमान के अंदर का माहौल पूरी तरह से डर और अनिश्चितता से भर गया था। कई यात्री ज़ोर से चिल्लाने लगे थे और हर कोई भगवान को याद कर रहा था। टर्बुलेंस के दौरान होने वाली तेज़ आवाज़ें और विमान का हिलना, किसी भी यात्री को यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि क्या यह उनकी आखिरी यात्रा है।
रिद्धिमा और समायरा ने भी शायद अपने आसपास ऐसी ही दहशत देखी होगी, जिससे उनका डर और बढ़ गया होगा। यह पल उन्हें हमेशा याद रहेगा, जब वे दोनों हवा में, एक छोटे से विमान में, अपनी ज़िंदगी के लिए चिंतित थीं।
काफी देर तक डर और बेचैनी के बीच रहने के बाद, आख़िरकार पायलट ने कुशलतापूर्वक स्थिति को संभाला और टर्बुलेंस कम हुई। जब विमान धीरे-धीरे सामान्य हो गया और अंततः सुरक्षित रूप से ज़मीन पर उतरा, तो सभी यात्रियों ने एक साथ राहत की साँस ली।
यह अनुभव रिद्धिमा और समायरा के लिए एक बड़ा सबक था। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हम चाहे कितने भी प्रसिद्ध या साधन संपन्न क्यों न हों, प्रकृति की शक्तियों के सामने हम सब समान हैं। रिद्धिमा कपूर साहनी और उनकी बेटी समायरा के लिए यह ‘मिड-एयर’ का डरावना पल निश्चित रूप से एक ऐसी याद बन गया है जिसे वे दोनों जल्दी नहीं भूल पाएंगी। यह अनुभव उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी डरावनी कहानियों में से एक बन गया।
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