प्रीकैप: दादी ने घर की शांति के लिए लिया पूजा कराने का फैसला।
शुक्रवार के मन अतिसुन्दर एपिसोड में दादी घर में शांति की पूजा कराने का फैसला लेती है। वह निहारिका को भी साथ चलने को कहती है लेकिन वह मना कर देती है। वहीं, वह राध्या से काँच साफ करने को कहती है। राध्या को उसी बीच चक्कर आ जाता है और प्रथम उससे कहता है कि वह मंदिर पूजा करने के लिए न जाये।
प्रथम की माँ काँच बनवाने के लिए मिस्त्रियों को बुलाती है और राध्या से उसके कमरे से उन्हें पैसे देने को कहती है। राध्या पैसे लेकर जब आती है तो सुनती है कि मिस्त्री अपनी पत्नी से बात करते हुए उसे कहता है कि आज पानी पीकर रह लेते हैं क्योंकि उसकी दिहाड़ी का आधा पैसा उसका मालिक ले लेगा और उन्हें उनके बच्चों के स्कूल की फीस भी भरनी है।
वहीं, निहारिका अपने प्लान को अंजाम देने के लिए राध्या के कमरे में आकर उसे इमोशनल ब्लैकमेल करती है कि उसे मंदिर जाना चाहिए। राध्या तैयार होकर सबके साथ जाती ही है। घर के बाहर दादी वापस निहारिका को चलने को कहती है जो इनकार कर देती है।
निहारिका घर की चाबी मांगती है जो दादी उसे दे देती है। घरवालों के जाने के बाद निहारिका घर के अंदर आती है और पूरे घर में मिट्टी का तेल चिढक देती है।
उसी बीच मित्तल परिवार पूजा करने हेतु आसान ग्रहण कर चुका होता है। राध्या पूजा की थाली लेकर आती ही है कि प्रथम की चाची जान करके अपने कान की बाली को राध्या के रास्ते में रख देती है जिसकी वजह से राध्या को वह चुभती है और उसके हाथ से नारियल दादी के चश्मे पर गिरता है।
दादी राध्या पर बहुत गुस्सा हो जाती है और उसको मारने के लिए हाथ उठाती है लेकिन प्रथम उनका हाथ रोक लेता है। प्रथम उनका चश्मा लाने को कहता है लेकिन दादी कहती है इस पूजा में उसका रहना ज़रूरी है और वह राध्या को लाने को कहती है।
राध्या कुछ कदम चलने के बाद बेहोश होकर गिर जाती है और दादी खुद घर जाने का फैसला लेती है। वहीं, निहारिका घर में आग लगाने की पूरी कोशिश करती है लेकिन आग नहीं लग पाती।
उसी बीच दादी आकर उसको पकड़ लेती है। जब वह चश्मा पहनती है तब उसको पता चलता है कि निहारिका है। दादी अपने चारों ओर तेल और निहारिका के हाथ में माचिस देखती है। वह निहारिका को इसकी वजह पूछती है।
निहारिका दादी को अपना असली चहरा दिखाती है कि वह इस घर में उनकी हितैषी नहीं बल्कि दुश्मन बनकर आयी है। वह कहती है कि प्रथम ने उसको दोखा दिया है। दादी कहती है प्रथम तो तुम्हारा इंतज़ार मंडप पर कर रहा था।
निहारिका कहती है वह खुद मंडप पर उसका इंतज़ार कर रही थी। उसने दादी को सब बताया कि उसको ओमकार जी का फोन आया जिन्होंने कहा कि अब वह बारात लेकर नहीं आएंगे और उन्होंने उसे कहा कि उन्होंने प्रथम की शादी राध्या से करवा दी है जो उससे विपरीत घर जोड़ना जानती है।
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