बड़े घर की छोटी बहू के शुक्रवार के एपिसोड में दुर्गा शोटू दा के पडोसी महिलाओं को उनके प्लान के बारे में बताती हैं कि वह असल में दुर्गा और अर्जुन की शादी करवाना चाहते हैं। वह पड़ोसी कहते हैं अब हम उनका काम आसान कर देंगे। वह काली नाम की एक महिला को बुलाते हैं।
वहीं, शोटू माँ दुर्गा से कहते हैं कि वह बहुत महान हैं। दुर्गा कहती है जिसे बचपन से अपने जीवनसाथी के रूप में चाहा उसके बजाए किसी और के साथ उसे जीवन बिताना पड़ा इसीलिए उसे अपनो को खोने का दर्द पता है। शोटू दा ने कहा उन्हें भी पता है।
दुर्गा ने कहा बस मन में यही कसक है कि उन्होंने उसे पहचान न सका। यह दर्द उनके मरने के बाद भी रहेगा। शोटू दा ने कहा उन्होंने उसे अच्छे से पहचान लिया।
वहीं, अहाना ने अर्जुन को चंदन का टीका लगा दिया और कहा अब आप तैयार है और नीचे जा सकते हैं क्योंकि उनकी दुल्हन उनका इंतज़ार कर रही होगी। उसी समय टुकुन दा वहां आते हैं और अहाना से कहते हैं कि उसे ४ बूंद चंदन लगाने में कितना समय लग रहा है।
दोनों एक दूसरे को देखते हैं उसी समय टुकुन अर्जुन को मंडप पर ले जाते हैं। अर्जुन दुर्गा से कुछ कहना चाहता है कि अहाना उसके पास आकर कहती है कि वह उसके पैर पड़ती है लेकिन वह दुर्गा को कुछ न बोले। अर्जुन जाकर मंडप पर बैठ जाता है एक लड़की के बगल में।
दुर्गा अहाना से कहती है कि वह लड़की बहुत छोटी है तो उसे जाकर बगल में बैठकर सम्भाले। अहाना मना कर देती है तो उसकी माँ ऐसे करने को कहती है। पण्डित जी अहाना का हाथ मौली बांधने को मांगते हैं लेकिन वह मना कर देती है।
अहाना की माँ कहती है कि वह अपना हाथ आगे दे दे। शोटू दा उससे कहते हैं कि वह शादी की पूजा करेगी न इसीलिए उसके हाथ में मौली बांधी जा रही है।
इसके बाद अर्जुन टुकुन दा को बुलाता है यह कहकर कि उसे कुछ ज़रूरी बात कहनी है। टुकुन मना कर देता है और कहता है कि हम लड़का पहले या लड़की पहले खेलेंगे। यह सुनकर अहाना मन-ही-मन कहती है कि ऐसे टुकुन दा उसे अपनी बहन से ज़्यादा मानते हैं और आज उन्हें मेरा चहरा नहीं दिखा।
ऐसा सोचकर अहाना उठने की वाली होती है कि टुकुन उसे बैठ जाने को कहता है। पण्डित जी उससे कहते हैं कि उनकी इज़ाज़त के बिना वह उठ नहीं सकती। टुकुन कहता है कि अहाना तुम्हे उठना है न चलो तुमको उठाते हैं। दो लोग अहाना को उठा लेते हैं वहीं टुकुन अर्जुन को उठाता है।
अहाना सबसे कहती है कि उसे चिढ़ाने के लिए उठाने की ज़रूरत नहीं है। वहीं, अर्जुन टुकुन से पूछता है यह क्या हो रहा है? पण्डित जी कहते हैं कि दूल्हा दुल्हन शुभ दृष्टि की रस्म पूरी करें। अर्जुन टुकुन से पूछता है कि मेरी दुल्हन कौन है? टुकुन कहता है ठीक से देख तुझे समझ आ जाएगा।
अब जाकर अर्जुन और अहाना समझते हैं कि घरवाले उनकी शादी करवा रहे हैं। रस्म पूरी होने पर दुर्गा अहाना से कहती है कि बड़ी आयी मेरे बेटे से डाइवोर्स लेने वाली। एक कागज के टुकड़े पर दस्तखत करने से रिश्ता नहीं टूटता क्योंकि वह सात जन्म का होता है।
अहाना की माँ ने कहा वह भी इस प्लान में शामिल थी पर उसके लिए इस बात को अपने मन में रखना बहुत मुश्किल था। दुर्गा ने कहा मेरे घर कल बम्ब फूटेगा इसीलिए आप सभी को मेरे साथ कल मेरे घर चलना पड़ेगा।
शोटू दा ने कहा कि मेरा घर तो खाली हो जाएगा क्योंकि मेरी बेटी की विदाई हो जाएगी। दुर्गा ने कहा आपको ऐसा लगता है वह आपको हमारे ही महौल्ले में रहने को बोलेगी जैसे उसने सोचा था। इसी समय अहाना और अर्जुन एक दूसरे को वरमाला पहनाते हैं।
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