पिछले कुछ समय से, अभिनेता आमिर खान अपने बयानों के चलते अक्सर सुर्खियों में रहे हैं। उनकी फिल्मों की तरह ही, उनके निजी और सामाजिक विचारों पर भी खूब चर्चा होती है। लेकिन इन सब के बीच, आमिर खान ने एक बहुत ही स्पष्ट और महत्वपूर्ण बात कही है: “मैं एक फिल्म व्यक्तित्व हूँ, कोई कार्यकर्ता (एक्टिविस्ट) नहीं।” यह बयान उनकी छवि और उनके काम के बीच की बारीक रेखा को बहुत अच्छे से दर्शाता है।
आमिर खान का यह कहना कि वह कार्यकर्ता नहीं हैं, बहुत मायनों में सही है। एक कार्यकर्ता वह होता है जो किसी विशेष सामाजिक या राजनीतिक उद्देश्य के लिए सक्रिय रूप से जमीन पर काम करता है, विरोध करता है, या आंदोलन चलाता है। उनका जीवन और उनका काम सीधे तौर पर किसी ‘कॉज़’ को समर्पित होता है।
दूसरी ओर, आमिर खान जैसे फिल्म व्यक्तित्व का मुख्य काम अभिनय करना, फिल्में बनाना और दर्शकों का मनोरंजन करना है। उन्होंने स्वीकार किया है कि वह अपने काम के माध्यम से, जैसे कि उनके चर्चित शो ‘सत्यमेव जयते’ के द्वारा, सामाजिक मुद्दों पर रोशनी डालते हैं और लोगों को सोचने पर मजबूर करते हैं। लेकिन रोशनी डालना और आंदोलन चलाना, इन दोनों में एक बड़ा फर्क होता है।
एक कलाकार होने के नाते, आमिर खान ने हमेशा सामाजिक जिम्मेदारी को महसूस किया है। उनकी फिल्में, चाहे वह ‘पीके’ हो, ‘दंगल’ हो, या ‘तारे ज़मीन पर’, हमेशा किसी न किसी गहन सामाजिक मुद्दे को उठाती रही हैं। यह उनके कलाकार होने का विस्तार है, न कि उनके एक एक्टिविस्ट होने का प्रमाण। वह मानते हैं कि उनकी कला, उनकी फिल्में, समाज में बातचीत शुरू करने का एक माध्यम हैं।
उनका काम लोगों का मनोरंजन करना और उन्हें कहानियों से जोड़ना। उनका लक्ष्य अपनी फिल्मों और प्लेटफार्मों के जरिए समाज को आईना दिखाना और सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा देना। वह एक ऐसे मंच का उपयोग करते हैं जहाँ लाखों लोग उनकी बात सुनते हैं, लेकिन वह इस मंच का उपयोग किसी राजनीतिक या जमीनी आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए नहीं करते हैं।
अक्सर, जब कोई सेलिब्रिटी किसी गंभीर मुद्दे पर बोलता है, तो मीडिया और जनता उनसे यह उम्मीद करने लगती है कि वे एक ‘सामाजिक मसीहा’ की भूमिका निभाएँ। आमिर खान ने इस बयान के माध्यम से उस अतिरिक्त दबाव को कम करने की कोशिश की है। वह कह रहे हैं कि उन्हें उनके फिल्मी करियर के दायरे में ही देखा जाना चाहिए।
उनका बयान एक तरह से अपनी सीमाओं का निर्धारण है—एक फिल्म निर्माता होने की सीमाएँ। वह मुद्दों पर बोलेंगे, शायद फंड भी देंगे, जागरूकता भी फैलाएंगे, लेकिन किसी कार्यकर्ता की तरह अपना पूरा जीवन किसी एक ‘कॉज़’ के लिए समर्पित नहीं कर पाएंगे, क्योंकि उनकी पहली प्रतिबद्धता उनकी कला और उनकी फिल्मों के प्रति है।
आमिर खान का यह बयान हमें याद दिलाता है कि एक कलाकार अपनी कला के माध्यम से समाज को बदल सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह एक प्रशिक्षित कार्यकर्ता है। वह मनोरंजन की दुनिया के माध्यम से प्रेरणा देते हैं, और यह अपने आप में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है जिसे वह बखूबी निभा रहे हैं।
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